प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात राज्यों के भूजल स्तर को ऊपर उठाने की सबसे महत्वपूर्ण भू-जल परियोजना और हिमाचल प्रदेश को लद्दाख और जम्मू कश्मीर से जोड़ने वाली रोहतांग टनल को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उनको समर्पित की। इन दोनों परियोजना को केंद्रीय मंत्रीमंडल ने कल मंजूरी दी थी। विज्ञान भवन में भूजल योजना पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने देश के किसानों को “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” का मंत्र दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 7 राज्यों के 78 जिलों के 8350 ग्राम पंचायतों में भू-जल की स्थिति बेहद खराब है। जल स्तर में सुधार हो, इसके लिये जागरूकता अभियान चलाने होंगे। आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस और स्पेस टेक्नोलॉजी समेत अन्य तकनीकियों को लेकर पानी की एक-एक बूंद बचाने के प्रयास किये जायेंगे। पानी को बचाने के लिये उन माताओं-बहनों के पास जाना होगा, जो घरों की मुखिया होती हैं।
पीएम मोदी ने स्टार्टअप कंपनियों से अनुरोध किया कि वे ऐसे गैजेट या मशीनें बनायें, जो कम से कम पानी से अधिक से अधिक काम करने में सक्षम बना सके। उन्होंने कहा कि जैसे हमने एलईडी बल्ब का अभियान चलाया, जिससे भारी मात्रा में बिजली बची। उसी तरह पानी बचाने के लिये भी बड़ा अभियान चलाया जायेगा। कोई भी तकनीक जो पानी बचाने में मदद करे, हमें अपनानी चाहिये।
पीएम ने कहा कि सबसे अधिक पानी का खर्च खेती में होता है। लिहाज़ा हमें किसानों के पास जाना होगा। उन्होंने कहा कि जब तक पूरा खेत पानी से लबा-लब भरा हुआ नहीं होता है, तब तक किसान को चैन नहीं मिलता। पानी जमीन के लिये है या पौधे के लिये? असल में किसान पानी पौधे को नहीं, जमीन को दता है। कुछ फसल ऐसी होती हैं, जो पानी सबसे ज्यादा लूटती है। उन फसलों को कम पानी में कैसे उगायें, यह प्रशिक्षण किसानों को दिया जायेगा। गन्ना, धान, आदि की फसलों में बहुत ज्यादा पानी लगता है। ऐसी जगहों पर भूजल का स्तर बहुत नीचे रहता है। उन जगहों पर वर्षा जल संचयन के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा। हमें पानी की हर बूंद को बचाना होगा। यानी हमें “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” का मंत्र हर किसान तक पहुंचाना होगा।
उन्होंने कहा, “गांव की भागीदारी और साझेदारी की इस योजना में गांधी जी के ग्राम स्वराज की भी एक झलक है। पानी से जुड़ी योजनाएं हर गांव के स्तर पर वहां की स्थिति-परिस्थिति के अनुसार बनें, ये जल जीवन मिशन की गाइडलाइंस बनाते समय ध्यान रखा गया है। मेरा एक और आग्रह है कि हर गांव के लोग पानी एक्शन प्लान बनाएं, पानी फंड बनाएं। आपके गांव में पानी से जुड़ी योजनाओं में अनेक योजनाओं के तहत पैसा आता है। विधायक और सांसद की निधि से आता है, केंद्र और राज्य की योजनाओं से आता है।”
क्या है अटल भू-जल योजना
अटल भू-जल योजना (अटल जल) का उद्देश्य 7 राज्यों – गुजरात, हरियाण, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में प्राथमिकता की पहचान वाले क्षेत्रों में समुदाय भागीदारी के माध्यम से भू-जल प्रबंधन में सुधार लाना है। इस योजना के कार्यान्वयन से इन राज्यों के 78 जिलों में लगभग 8350 ग्राम पंचायतों को लाभ मिलने की उम्मीद है। अटल जल मांग पक्ष प्रबंधन पर प्राथमिक रूप से ध्यान देते हुए ग्राम पंचायत नेतृत्व में भू-जल प्रबंधन तथा व्यवहार्य परिवर्तन को बढ़ावा देगा।
6000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय में 50 प्रतिशत विश्व बैंक ऋण के रूप में होगा, जिसका पुनर्भुगतान केन्द्र सरकार करेगी। बकाया 50 प्रतिशत नियमित बजटीय सहायता से केन्द्रीय मदद के रूप में होगा। राज्यों को विश्व बैंक का पूरा ऋण घटक और केन्द्रीय मदद अनुदान के रूप में दी जाएगी।
अटल जल के दो प्रमुख घटक हैं
- राज्यों में स्थायी भू-जल प्रबंधन के लिए संस्थागत प्रबंधनों को मजबूत बनाने के लिए संस्थागत मजबूती और क्षमता निर्माण घटक, इसमें नेटवर्क निगरानी और क्षमता निर्माण में सुधार तथा जल उपयोगकर्ता संघों को मजबूत बनाना शामिल है।
- डेटा विस्तार, जल सुरक्षा योजनाओं को तैयार करना, मौजूदा योजनाओं के समन्वय के माध्यम से प्रबंधन प्रयासों को लागू करना, मांग पक्ष प्रबंधन प्रक्रियाओं को अपनाने जैसी उन्नत भू-जल प्रबंधन प्रक्रियाओं में उपलब्धियों के लिए राज्यों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रोत्साहन घटक।
- विभिन्न स्तरों पर हितधारकों के क्षमता निर्माण तथा भू-जल निगरानी नेटवर्क में सुधार के लिए संस्थागत मजबूती से भू-जल डेटा भंडारण, विनिमय, विश्लेषण और विस्तार को बढ़ावा मिलेगा।
- उन्नत डेटाबेस पर उन्नत और वास्तविक जल प्रबंधन तथा पंचायत स्तर पर समुदाय नेतृत्व जल सुरक्षा योजनाओं को तैयार करना।
- भारत सरकार और राज्य सरकारों की विभिन्न मौजूदा और नई योजनाओं के समन्वय के माध्यम से जल सुरक्षा योजनाओं को लागू करना, ताकि सतत भू-जल प्रबंधन के लिए निधियों के न्यायसंगत और प्रभावी उपयोग में मदद मिले।
- सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधता, विद्युत फीडर विलगन आदि जैसे मांग पक्ष उपायों पर ध्यान देते हुए उपलब्ध भू-जल संसाधनों का उचित उपयोग करना।
क्या होंगे इसके परिणाम
- स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी में परियोजना क्षेत्र में जल जीवन मिशन के लिए संसाधन निरंतरता।
- किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य में योगदान मिलेगा।
- भागीदारी भू-जल प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा।
- बड़े पैमाने पर परिष्कृत जल उपयोग निपुणता और उन्नत फसल पद्धति को बढ़ावा।
- भू-जल संसाधनों के निपुण और समान उपयोग तथा समुदाय स्तर पर व्यवहार्य परिवर्तन को बढ़ावा।
क्यों जरूरी है यह योजना
भू-जल देश के कुल सिंचित क्षेत्र में लगभग 65 प्रतिशत और ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में लगभग 85 प्रतिशत योगदान देता है। बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की बढ़ती हुई मांग के कारण देश के सीमित भू-जल संसाधन खतरे में हैं। अधिकांश क्षेत्रों में व्यापक और अनियंत्रित भू-जल दोहन से इसके स्तर में तेजी से और व्यापक रूप से कमी होने के साथ-साथ भू-जल पृथक्करण ढांचों की निरंतरता में गिरावट आई है। देश के कुछ भागों में भू-जल की उपलब्धता में गिरावट की समस्या को भू-जल की गुणवत्ता में कमी ने और बढ़ा दिया है। अधिक दोहन, अपमिश्रण और इससे जुड़े पर्यावरणीय प्रभावों के कारण भू-जल पर पड़ते दबाव ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा खतरे में पहुंच गई है। इसके लिए आवश्यक सुधारात्मक, उपचारात्मक प्रयास प्राथमिकता के आधार पर किये जाने की जरूरत है।
जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने अटल भू-जल योजना के माध्यम से देश में भू-जल संसाधनों की दीर्घकालीन निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एक अग्रणीय पहल की है, जिसमें विभिन्न भू-आकृतिक, जलवायु संबंधी, जल भू-वैज्ञानिक और सांस्कृतिक स्थिति के पहलुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले 7 राज्यों में पहचान किये गए भू-जल कमी वाले प्रखंडों में ‘टॉप-डाउन’ और ‘बॉटम अप’ का मिश्रण अपनाया गया है। अटल जल को भागीदारी भू-जल प्रबंधन तथा निरंतर भू-जल संसाधन प्रबंधन के लिए समुदाय स्तर पर व्यवहार्य परिवर्तन लाने के लिए संस्थागत ढांचे को मजबूत बनाने के मुख्य उद्देश्य के साथ तैयार किया गया है। इस योजना में जागरूकता कार्यक्रमों, क्षमता निर्माण, मौजूदा और नई योजनाओं के समन्वय तथा उन्नत कृषि प्रक्रियाओं सहित विभिन्न उपायों के माध्यम से इन उद्देश्यों को प्राप्त करने की कल्पना की गई है।