Home FEATURE एनसीसी का झंडा लाल, नीला और आसमानी क्यों होता है

एनसीसी का झंडा लाल, नीला और आसमानी क्यों होता है

0
एनसीसी का झंडा लाल, नीला और आसमानी क्यों होता है

गणतंत्र दिवस पर देश के कोने-कोने से आए हुए NCC के Cadets ने राजपथ पर कदम ताल मिलाकर संदेश दिया की भारत की आने वाली पीढ़ी लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा और देश की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है। उनके उसी उत्साह के तहत आज एक बार फिर दिल्ली स्थित जनरल करियप्पा ग्राउंड में देश के साथ ही विदेश के कैडेट्स ने वार्षिक एनसीसी रैली 2020 में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने मंच से सलामी ली। साल 1948 में केवल बीस हजार कैडेट्स के साथ शुरू हुई NCC के आज पूरे देश में करीब 13 लाख से ज्यादा कैडेट्स हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी NCC कैडेट्स रह चुके हैं। प्राकृतिक आपदा हो या स्वच्छ भारत अभियान और पल्स पोलियों जैसी पहल के लिए एनसीस कैडेट्स ने देश भर में सराहनीय कार्य किया है।

राष्ट्रीय कैडेट कोर यानी NCC का इतिहास

राष्ट्रीय कैडेट कोर यानी NCC सबसे पहले जर्मनी में 1666 में शुरू किया गया था। भारत में राष्ट्रीय कैडेट कोर की स्थापना 16 अप्रैल 1948 में की गई थी। लेकिन इसके तार यूनिवर्सिटी कोर से जुड़ी हैं, जिसे इंडियन डिफ़ेंस एक्ट 1917 के तहत बनाया गया था। NCC को सैनिकों की सहायता के उद्देश्य से बनाया गया था। इससे पहले साल 1920 में जब इंडियन टेरिटोरियल एक्ट पारित किया गया तो यूनिवर्सिटी कोर की जगह यूनिवर्सिटी ट्रेनिंग कोर (UTC) ने ले ली। जिसका उद्देश्य था कि UTC का दर्ज़ा बढ़ा दिया जाए और इसे युवाओं के लिए और आकर्षित बनाया जाए। लेकिन युद्ध और आपात काल के लिए इन्हें तैयार करने के लिए एक खास ट्रेनिंग की आवश्यकता के चलते एनसीसी की स्‍थापना की गई। कर्नल गोपाल गुरुनाथ बेवूर को 31 मार्च 1948 को राष्ट्रीय कैडेट कोर का पहला निदेशक बनाया गया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

 

महिला कैडेट्स

साल 1948 में एनसीसी गर्ल्स डिविज़न बनाया गया ताकि स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियों को बराबरी का मौका दिया जा सके। साल 1950 में एयर विंग बना और 1952 में नेवल विंग। स्कूल-कॉलेज स्तर पर लड़कों की तरह लड़कियां भी एनसीसी ज्वाइन करने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्हें भी लड़कों की तरह ट्रेनिंग दी जाती है।

एनसीसी की पहचान

एनसीस में शामिल कैडेट्स के लिए खाकी वर्दी ड्रेस होती है। ‘एकता और अनुशासन’ कोर का आदर्श वाक्य है। NCC के झंडे में तीनों सेनाओं को प्रदर्शित करते तीन रंग होते हैं। लाल आर्मी के लिए, गहरा नीला नेवी के लिए और हल्का नीला वायुसेना के लिए। भारत में राष्ट्रीय कैडेट कोर के माध्यम से विद्यालयों, महाविद्यालयों और पूरे भारत में विश्वविद्यालयों के कैडेटों को छोटे-युद्ध अभ्यास और परेड में बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण, खेल-कूद प्रदान करता है।

 

युद्ध में जवानों के साथ लिया था हिस्सा

1965 और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान एनसीसी कैडेट सुरक्षा की दूसरी कतार के रूप में काम किया। उन्होंने सामने से हथियार और गोला बारूद की आपूर्ति, आयुध कारखानों की सहायता के लिए शिविर का आयोजन किया और भी दुश्मन पैराट्रूपर्स पर कब्जा करने के लिए गश्ती दल के रूप में काम किया। इसके अलावा एनसीसी के कैडट्स का सेना में शामिल होना बदस्तूर जारी है। एनसीसी कैडेट्स को सेना में प्रवेश के समय विशेष वरियता भी दी जाती है। NCC युवाओं में चरित्र, मिल-जुलकर काम करने की क्षमता का विकास करती है। इसके अलावा NCC युवाओं में नेतृत्व की क्षमता और सेवा की भावना भी विकसित करता है। यह युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण देकर पहले से तैयार एक रिज़र्व बल बनाता है, जिसका उपयोग राष्ट्रीय आपातकाल के समय सशस्त्र बल के रूप में किया जा सके।

कब ज्वाइन कर सकते हैं एनसीसी

सर्वांगिण विकास और अनुशासन के लिए एनसीसी की शुरूआत स्कूल या कॉलेज लेवल पर होती है। एनसीसी में ट्रैकिंग, माउंटेनिंग, साइकल एक्सपेडिशन जैसे रोमांचक खेल तो होते ही हैं, साथ ही व्यक्तित्व विकास के लिए रचानात्मक कार्य, वाद-विवाद प्रतिगयोगिता, भाषण प्रतियोगिता जैसी गतिविधियां भी कराई जाती है। स्कूल-कॉलेज स्तर पर कैडेट्स के लिए जिले या दूसरे जिले में कैंप लगाए जाते हैं। जहां उन्हें अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग और खेल-खूद कराए जाते हैं।

करियर की संभावनाएं

एनसीसी के तहत छात्रों के लिए तीन लेवल के पाठ्यक्रम होते हैं। जिसे पास करने पर हर स्तर पर ए, बी और सी सर्टीफिकेट मिलता है। जिसके माध्यम से विद्यार्थियों को कई प्रकार की सहुलियतें मिलती हैं। राज्य और केंद्र सरकार की नियुक्तियों में एनसीसी कैडेट को प्राथमिकता दी जाती है। एनसीसी का ‘सी’ सर्टिफिकेट प्राप्त कैडेट्‍स के लिए ‘इंडियन मिलेट्री एकेडमी’ (आईएमए) में कुछ सीटें रिजर्व होती हैं। इसके अलावा ‘बी’ या ‘सी’ सर्टिफिकेट प्राप्त कैडेट्‍स को ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ में ‘सीडीएस’ की लिखित परीक्षा नहीं देनी पड़ती। सशस्त्र बलों और पैरामिलेट्री फोर्सेस ‘सी’ सर्टिफिकेट धारी को विशेष छूट दी जाती है। कुछ सीटें उनके लिए रिजर्व होती हैं। नौसेना और वायु सेना में भी छूट होती है।